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FD से हुई कमाई पर कब और कितना देना होगा टैक्स, फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसा लगाने वाले जान लें Income Tax के नियम

आयकर के नियम(Rules of Income Tax) : एक सुरक्षित और लाभकारी निवेश का तरीका है, जिसे लोग अपनी बचत को बढ़ाने के लिए पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि FD से मिलने वाली ब्याज पर टैक्स भी लगता है? यदि आप भी FD में निवेश करते हैं या करने का सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है। इस लेख में हम आपको FD से हुई कमाई पर टैक्स के नियमों को विस्तार से समझाएंगे, ताकि आप अपनी वित्तीय योजना को सही तरीके से बना सकें।

Rules of Income Tax : पर टैक्स क्यों लगता है?

फिक्स्ड डिपॉजिट पर जो ब्याज मिलता है, वह आयकर अधिनियम के तहत आय मानी जाती है। इसे व्यक्तिगत आय में जोड़ा जाता है और इस पर टैक्स लिया जाता है। हालांकि, इस पर टैक्स की दर आपकी आयकर श्रेणी और लागू नियमों पर निर्भर करती है। आइए जानते हैं FD से मिलने वाली कमाई पर कब और कितना टैक्स लगेगा।

1. FD पर ब्याज पर टैक्स कैसे लगता है?

FD पर ब्याज पर टैक्स लगाने का तरीका थोड़ा अलग होता है। यह टैक्स कटा हुआ आय (TDS) के रूप में और/या साल के अंत में आयकर रिटर्न दाखिल करने पर भुगतान किया जा सकता है। आइए जानते हैं दो मुख्य पहलुओं के बारे में:

TDS 

  • यदि आपकी FD से मिलने वाली ब्याज राशि ₹40,000 या उससे अधिक है (₹50,000 तक यदि आप वरिष्ठ नागरिक हैं), तो बैंक या वित्तीय संस्था TDS काटेगी।
  • TDS की दर 10% होती है। यानी यदि आपकी FD से ब्याज ₹40,000 है, तो बैंक ₹4,000 टैक्स के रूप में काटेगा और शेष ₹36,000 आपके खाते में आएंगे।
  • अगर आप वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष या उससे अधिक आयु) हैं, तो ₹50,000 तक ब्याज पर TDS नहीं कटेगा।

बिना TDS के ब्याज पर टैक्स

  • अगर TDS आपकी कुल ब्याज आय पर नहीं कटता है या आपने फॉर्म 15G/15H (किसी विशेष छूट के लिए) भरा है, तो आपको अपने आयकर रिटर्न में ब्याज आय को शामिल करना होगा।
  • अगर आपकी कुल आय निर्धारित सीमा से कम है, तो आपको टैक्स नहीं देना पड़ेगा, लेकिन यह स्थिति आपकी व्यक्तिगत स्थिति पर निर्भर करती है।

2. FD पर टैक्स की दर

फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स की दर आयकर स्लैब के आधार पर होती है। यदि आपकी कुल आय एक निश्चित सीमा से अधिक है, तो आपको उस आय पर टैक्स देना होता है। चलिए समझते हैं टैक्स की दरों को:

आयकर स्लैब

  • ₹2,50,000 तक: टैक्स मुक्त
  • ₹2,50,001 – ₹5,00,000: 5% टैक्स
  • ₹5,00,001 – ₹10,00,000: 20% टैक्स
  • ₹10,00,000 से अधिक: 30% टैक्स

अगर आपकी FD से मिलने वाली ब्याज आय आपके टैक्स स्लैब में आती है, तो आपको उस राशि पर टैक्स देना होगा।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष छूट

यदि आप वरिष्ठ नागरिक हैं, तो ₹50,000 तक की FD ब्याज आय पर कोई TDS नहीं काटा जाता। लेकिन, अगर आपकी कुल आय ₹2,50,000 से अधिक है, तो आपको टैक्स देना पड़ेगा, जो आपके आयकर स्लैब के अनुसार होगा।

3. FD से हुई कमाई का आकलन कैसे करें?

फिक्स्ड डिपॉजिट पर होने वाली ब्याज की आय का आकलन करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए:

आकलन के लिए प्रमुख बिंदु:

  • FD का ब्याज हर तिमाही, छमाही या सालाना आधार पर मिलेगा। आपको अपनी कुल ब्याज आय का सही आकलन करना होगा।
  • हर साल बैंक द्वारा भेजे गए TDS प्रमाण पत्र की जांच करें और सुनिश्चित करें कि सही राशि काटी गई है या नहीं।
  • अगर आपने 15G/15H फॉर्म भरा है और आपकी कुल आय टैक्स योग्य नहीं है, तो कोई TDS नहीं कटेगा, लेकिन आपको अपनी ब्याज आय का आकलन करना और टैक्स रिटर्न में उसे शामिल करना होगा।

FD पर आय की गणना:

  • मान लीजिए आपने ₹5,00,000 का FD 7% वार्षिक ब्याज दर पर किया है। इस पर एक साल में ₹35,000 की ब्याज आय होगी।
  • यदि आपकी कुल आय ₹2,50,000 से अधिक है, तो इस ₹35,000 पर टैक्स लगेगा। टैक्स की दर आपके आयकर स्लैब के अनुसार लागू होगी।

4. TDS और आयकर रिटर्न

यदि बैंक या वित्तीय संस्थान ने आपकी FD पर TDS काटा है, तो आपको यह राशि अपनी आयकर रिटर्न में शामिल करनी होगी। आप अपनी आयकर रिटर्न दाखिल करते समय इस TDS को एक क्रेडिट के रूप में ले सकते हैं। इसे TDS रिफंड के रूप में भी प्राप्त किया जा सकता है, यदि आपकी कुल आय टैक्स योग्य नहीं है।

TDS रिफंड:

  • यदि TDS आपकी आय से अधिक काटा गया है, तो आप आयकर रिटर्न दाखिल करके उसे वापस प्राप्त कर सकते हैं।
  • यदि TDS सही तरीके से काटा गया है और आपकी आय टैक्स योग्य है, तो आपको टैक्‍स रिटर्न के हिसाब से बकाया टैक्स अदा करना होगा।

5. FD पर टैक्स बचाने के उपाय

फिक्स्ड डिपॉजिट से होने वाली ब्याज आय पर टैक्स बचाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। आइए जानते हैं:

  • 15G/15H फॉर्म: यदि आपकी आय टैक्स की सीमा से नीचे है, तो आप फॉर्म 15G या 15H भर सकते हैं, जिससे TDS नहीं काटा जाएगा।
  • Pension/Retirement Plans: कुछ बैंक एफडी को पेंशन योजना या रिटायरमेंट फंड योजना से जोड़ने की सुविधा देते हैं। इससे टैक्स बचाने में मदद मिल सकती है।
  • Tax-saving FD: सरकार द्वारा अनुमोदित टैक्स-सेविंग FD (5 साल की लॉक-इन अवधि वाली FD) पर भी टैक्स छूट मिलती है। इस पर आपको 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट मिल सकती है।

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FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. FD पर ब्याज पर टैक्स क्यों लगता है?

FD पर ब्याज आय को आय के रूप में माना जाता है, इसलिये इस पर टैक्स लिया जाता है।

2. FD में निवेश करने पर TDS कब काटा जाएगा?

अगर आपकी FD से ब्याज ₹40,000 या उससे अधिक है, तो TDS काटा जाएगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा ₹50,000 है।

3. अगर FD पर TDS कट रहा है, तो क्या मुझे अलग से टैक्स देना पड़ेगा?

यदि TDS काटा जा रहा है, तो आपको आयकर रिटर्न दाखिल करने के दौरान इस राशि का क्रेडिट मिलेगा। फिर आपको केवल शेष टैक्स ही अदा करना होगा।

4. FD पर टैक्स कैसे बचाएं?

आप 15G/15H फॉर्म भर सकते हैं, टैक्स-सेविंग FD में निवेश कर सकते हैं, या अपने टैक्स स्लैब को ध्यान में रखते हुए आय का आकलन कर सकते हैं।

निष्कर्ष

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर टैक्स लगाने के नियमों को समझना आवश्यक है, ताकि आप अपनी आय और टैक्स की योजना सही तरीके से बना सकें। FD से प्राप्त ब्याज आय पर टैक्स जरूर लगता है, लेकिन टैक्स बचाने के उपायों को अपनाकर आप अपने टैक्स को कम कर सकते हैं। सही जानकारी और नियोजन के साथ आप अपनी FD से अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है और यह वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। टैक्स और निवेश संबंधी व्यक्तिगत सलाह के लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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